मंगलवार, 26 जुलाई 2011


मुंडा सरकार ने झारखंड के पत्रकारों के बीच बांटी रेवड़ियां


30 में 26 चहेतों को दिया 50 हजार रु. के मीडिया फेलोशिप 

झारखंड सरकार ने 26 पत्रकारों को 50-50 हजार रुपये की मीडिया फेलोशिप की घोषणा कर दी है। मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने संवाददाता सम्मेलन में चयनित पत्रकारों की सूची जारी की। जनहित के मुद्दों पर शोध आधारित प्रकाशनों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विभाग के द्वारा शोध एवं अन्वेषण की योजना प्रारम्भ की गयी है। इसके लिए विभागीय समिति गठित कर अखबारों में विज्ञापन देकर प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गई थी। गठित विभागीय समिति ने कुल 26 आवेदकों का चयन फेलोशिप प्रदान करने हेतु किया है। प्रत्येक फेलोशिप हेतु पचास हजार रुपये की राशि प्रदान की जानी है। बकौल चयन समिति के सदस्य डॉ.विष्णु राजगढिया,चयन समिति के पास कुल 30 आवेदन ही प्राप्त हुए थे।

चयन समिति में डा॰ रमेश शरण (स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग, रांची विश्वविद्यालय), श्री चंदन मिश्र (ब्यूरो प्रमुख, दैनिक हिन्दुस्तान), डा॰ विष्णु राजगढि़या (ब्यूरो चीफ, नई दुनिया), श्री विजय पाठक (स्थानीयसम्पादक, प्रभात खबर), श्री सुमन श्रीवास्तव (ब्यूरो प्रमुख, दी टेलीग्राफ), श्री अरविन्द मनोज कुमार सिंह (सहायक क्षेत्रीय निदेशक, इग्नू), श्री राजीव लोचन बख्शी (संयुक्त सचिव, सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग) तथा श्रीमती स्नेहलता एक्का (उप निदेशक, सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग) शामिल है।
मीडिया फेलोशिप हेतु चयनित पत्रकार एवं उनका शोध-विषय-
1. अनुपमा कुमारी- पंचायती राज और महिला सशक्तिकरण
2. आलोका- झारखण्ड में मनरेगा का महत्व
3. अनंत - हजारीबाग में लतिका का सामाजिक संघर्ष
4. योगेश्वर राम - पंचायत व्यवस्था में ग्राम सभा की भूमिका
5. आशिषी कुमार सिन्हा - बिरहोर समुदाय की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली
6. ओमप्रकाश पाठक - ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य अधिसंरचना
7. रूपक कुमार - झारखंड में जैव-विविधता और जीविकापार्जन
8. सुरेन्द्र लाल सोरेन - कचड़ा चुननेवाले बच्चों के बेहत्तर भविष्य की संभावन
9. सर्वजीत - झारखंड में सूचना का अधिकार
10. प्रशांत जयवर्द्धन - वन प्रबंधन और पारंपरिक नियम
11. नदीम अख्तर - झारखण्ड राज्य में कृषि में तकनीक का इस्तेमाल
12. महेश्वर सिंह छोटु - आदिम जनजाति पहाडि़या कल आज और काल
13. नौशाद आलम - झारखण्ड में समुदायिक वन प्रबंधन की प्रासंगिकता
14. संजय श्रीवास्तव - झारखण्ड के विकास में संसदीय राजनीति का योगदान
15. शैली खत्री - राँची में बच्चों के विकास की स्थिति ।
16. प्रशांत झा - तसर सिल्क उद्योग और इससे जुड़े लोगों की स्थिति
17. कुमार संजय - बच्चों के भोजन और पोषण का अधिकार
18. विकास कुमार सिन्हा - झारखण्ड के पर्यटन स्थलों की स्थिति व विकास।
19. तनवी झा - झारखंड में समुदाय आधरित स्वास्थ्य सेवा
20. अमित कुमार झा - नेशनल गेम्स आयोजन से झारखण्ड में खेल प्रतिभाओं का उदय।
21. चन्दो श्री ठाकुर - राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का सामुदायिक परिदृश्य
22. संजय कृष्ण - ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर महिला पलायन का असर
23. सलाउद्दीन- हजारीबाग में एड्स का विस्तार एवं नियंत्रण
24. शैलेश कुमार सिंह - स्वर्णिम झारखंड में नक्सलवाद का अंत
25. पंकज त्रिपाठी - राज्य में बिजली की स्थिति, समस्या और समाधान।
26. शक्तिधर पांडेय - लोक स्वास्थ्य और आंगनबाड़ी सेवाओं के सुदृढ़ीकरण में समुदाय की भूमिका।
बहरहाल, समिति द्वारा अनुसंशित जिन उम्मीदवारों को सरकार ने फेलोशिप प्रदान करने की घोषणा की है,उनका गहन अवलोकन करने पर यह साफ जाहिर होता है कि मुंडा सरकार ने झारखंड की पत्रकारिता के एक खास वर्ग के चहेतों के बीच मात्र रेवड़ियां बांटने का कार्य की है। वाकई में जिन पत्रकारों को इसका लाभ मिलनी चाहिए,उसे नहीं मिलने की परंपरा कायम रखते हुये पारदर्शिता नहीं बरती गई है। और यदि इसकी न्यायपूर्ण जांच की जाए तो सबकी कलई खुलनी तय है। चयन समिति में कई ऐसे लोग हैं,जिनसे पारदर्शिता की उम्मीद कदापि नहीं की जा सकती। वरिष्ठ पत्रकार रजत कुमार गुप्ता का कहना है कि इनके चयन का आधार सार्वजनिक होना चाहिए।

http://www.rajnama.com/2011/07/blog-post_1709.html

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